Комментарии:
Sir can you suggest any other books in English? By swamiji🙏🏼
ОтветитьSir Swami Vivekananda ji k lectures kis book me pdhne ko mil skte hai)
ОтветитьWhere I can find this lecture notes?
ОтветитьSir plzzz Swami Vivekananda ji ki teaching ki ek book bataiye
ОтветитьHimmat harkat hoshiyari
ОтветитьMy favourite line of this video
नदी समुद्र में अपने आपको खाली रहती हे और लगातार भरती रहती हे 😊
Non attachment is the whole secret of existence: श्रीमद भगवद्गीता में निस्काम कर्मयोग की जो बात हे।
Ответитьhallo bhaiya aap swamy vivekanand ji ka information kaha se late hai , has he written a book which contain these things about focus and concentration , if then i really have to read it , please reply and a heartly thanks for this inspiring and knowledgeful video. keep serving to youth , thankyou.
Ответитьमेरे भाई, आप मन के अंधकार मे उजाला भर देते हो.
ОтветитьThank you brother
ОтветитьBrdr Sandeep Maheshwari hi ke show pr jaao
ОтветитьThank you brother Abhinav for creating such good content for free and awakening the youth of India
ОтветитьThank you so much brother ✨ you again helped me to get back myself
ОтветитьSource of knowledge
Ответить120 saal ?
ОтветитьRan Ram Ram
ОтветитьFabulous work u did thank u very much to owner of the channel n content writer
ОтветитьThank you for making this video . Recently I planned to start reading books of swami vivekananda ji . But I'm very lazy and also I'm student.
Once again Thank you for making this informative video
Vivek(🤔) budhi (🧠) or gyan(📚) se hum jitenge ❤️
ОтветитьThank you 🙏
ОтветитьApna bhai bhi legend he,,
Sandeep sir k show me deserve krta he,,
Thank you sir
Ответитьहम jitenge
ОтветитьOne of the best video on this channel ❤️
ОтветитьMs dhoni vi yehi formula follow karte he
Ответить❤❤ giving is the Law of Nature
Ответитьthanks dear , this motivation video
ОтветитьThankyou so much for dropping this yo your videos are priceless!!! God bless
Ответитьexcellent knowledge
ОтветитьThis was written in bhagwat Geeta
Ответитьधन्यवाद 🙏
Ответитьsir please kl rahul par bhi video bna do unke work ethic par please 🙏🙏🙏🙏🙏 sir
ОтветитьI just want to thank you
ОтветитьSir jo jo apne ye last m btaya h summary m same exam m likh de toh marks mil jaye ge...?
ОтветитьProcess pr dhyan lgane se attachment nhi hota h ❤
ОтветитьProcess pr concentrate krna he detachment h
ОтветитьGive what you to give, it will come back to you multiplied a thousandfold
ОтветитьDene se attachment khtm hota h
ОтветитьDonate krne se(charity) se mind ka attachment km hota h
Ответить❤
ОтветитьBhai ..great video.. life becomes great
Ответить❤
ОтветитьGreat idea
ОтветитьGood
ОтветитьI am a house wife Thanks 🙏
ОтветитьLove from Kolkata ❤
ОтветитьBest motivation channel in whole you tube ❤❤❤❤❤❤❤❤❤❤
Ответитьइस video को सुनने के बाद, गीता में कही गयी ये बात “” कर्म कर, फल की इच्छा मत कर ””। इसका जो अर्थ मैं इस video द्वारा समझा हूँ वो यह कि; पहले प्रश्न उठा फल किसे कहा गया हैं?? यह swamiji के इस lecture content से समझ आता हैं कि, गीता में संभवता फल - Goal को कहा गया हैं। कर्म process से जुड़ा हैं।
एक प्रश्न और अर्जुन तो युद्ध नहीं कर पा रहा था, तो क्या वो goal पे focused था?, शायद नहीं।? फल की इच्छा का और क्या अर्थ हो सकता हैं???
Actual में कृष्ण ने अर्जुन से क्या कहा कोई नहीं जानता, ये 5000 वर्ष पहले की घटना हैं, इन 5000 वर्षों में कही व्यक्ति आये और गये और गीता का अपना अर्थ समाज में बताया सुनाया। संभव हैं गीता में कृष्ण अर्जुन की वास्तिवक वार्तालाप में भी परिवर्तन हो गया। पहले publishing technology नहीं थी, इस प्रकार books word to word नहीं छपती थीं। ये सब बातें तो गुरु द्वारा verbally शिष्यों को transfer होती थी। धीरे धीरे इसे लिखित में summarise होना शुरू हुआ और फिर technology उपलब्ध होने पे print और publishing के माध्यम से बुक बन गयी, कई publisher और writer द्वारा। जीतने writer उतने गीता के अर्थ।
चलिए फल की इच्छा का क्या अर्थ हो सकता हैं?? मेरे मत में यह धर्म को देखना आवश्यक हैं, जैसे अर्जुन मोह में पड़ गया, रिश्तेदारी याद आने लगी, अर्जुन इस confusion में था कि अपने पूजींये भीष्म और द्रोण से युद्ध विजय पा के भी क्या लाभ। तो ये समझा जा सकता हैं कि अर्जुन का धर्म उस समय और परिस्थिति में युद्ध करना था और दूसरा वो अंदर ही अंदर अपने को श्रेष्ठ भी मान रहा था और ये भी मान रहा था कि अगर वो युद्ध करेगा तो वो विजयी होगा। अर्जुन को मोह भी था, अहंकार भी था, और विजय पे ध्यान था। धर्म का ज्ञान ना होना, अहंकार, लक्ष्य के बारे में सोचना और process पे ध्यान ना देना, enjoy ना करना, ये सब ही फल की इच्छा का होना हैं। लक्ष्य कई process steps से मिल के बनता हैं। इसीलिए कृष्ण सारथी बन के अर्जुन का ध्यान process पे बनाये रखा। कृष्ण ने अर्जुन को यही बोला की युद्ध में सर्वप्रथम भीष्म तक कैसे पहुँचना हैं ये आवश्यक हैं।