अक्सर ही ऐसा होता है कि जिसे एक समय हम जीवन की सफलता मान बैठते हैं, समय के साथ वह केवल एक पड़ाव की तरह लगने लगता है। और सफलता हमें वह संतोष नहीं दे पाती है, जिसके अपेक्षा हम कर रहे होते हैं। इसलिये अपने जीवन में हमें 'सफलता' के साथ-साथ 'सार्थकता' की भी खोज करनी चाहिये।
इस छोटी सी चर्चा में डॉ. विकास दिव्यकीर्ति सर द्वारा इसी द्वंद्व को समझाने की कोशिश की गई है। सांसारिक सफलताओं के साथ-साथ आत्मिक उन्नति को कैसे साधा जा सकता है, इसका सूत्र भी आपको इस चर्चा में मिलेगा।
उम्मीद है इससे आपको अपनी ज़िंदगी बेहतर बनाने में मदद मिलेगी।